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Thursday, December 31, 2009

वनवास.. सजा परवरिश की....

वनवास ... उसका   बचपन तो बीता था हर किसी की तरह से, लेकिन जैसे जऐसे वो बड़ा हुआ उसे लगने लगा की उसके साथ कुछ ऐसा होने वाला है जो शायाद हर  किसी के साथ नहीं होता है. और जब उसकी हादी हो गयी तो भी वो नहीं जान सका की किस्मत का खेल क्या होगा...  उसके साथ किस्मत और खुद भगवान् ने सोच रखा था   " वनवास" ..   जी हाँ वनवास लेकिन क्यों और कैसे मिला था उसे वनवास , क्या था कारन , क्या ठी उसकी गलती या यह था उसका नसीब , उसके वनवास में भी उसका प्यार उसका सहारा बना ..यह कोई कालानिक कहानी नहीं बल्कि ये है ...  मेरी अपनी आप बीती यानि मेरी  कहानी   जिसके साथ यह सब हुआ वो कोई और नहीं मैं यानी दीपक हूँ और में आज भी झेल रहा हूँ मेरा " वनवास"   

भ्रम

भ्रम क्या है ????
वो जो हम देख रहे हैं,,  या वो जो हमसे छुपा है,या छुपाया जा रहा है !!! सच्चाई और भ्रम के इसी चक्कर में इंसान की जिन्दगी फंसी हुई है...   भ्रम  को समझ पाना  जितना मुश्किल होता है उतना ही खतरनाक होता है हमारे लिए .भ्रम को न जान पाना . आखिर क्या है फर्क भ्रम और सच के बीच ?  इसी जदोजाहत के बीच में फंसी है हमारी , तुम्हारी और हर किसी की जिन्दगी .......    
ऐसा ही कुछ हो रहा है  शिव के साथ ..  उसे लगता है की जिन्दगी में उसे जो भी लोग मिले हैं सब उसके दोस्त और चाहने वाले ही हैं, कोई भी उसका दुश्मन नहीं है, लेकिन यह भ्रम जब तक रहता है सब कुछ ठीक रहता है लेकिन जैसे ही यह भ्रम टूटेगा तो क्या होगा ????...  यही सब कुछ है इस कहानी में जिसका नाम है """भ्रम"" 

Thursday, December 3, 2009

अब से कोई भी करो मत दान यानी... की say no vote.....

ज्यादअ समय बीता नहीं है लोकसभा चुनाव को बीते,  याद है किस तरह से हमने अपने वोट का प्रयोग बढ़ चढ़ कर किया था , ताकि हम चुन सके अपनी सबसे बेहतर सरकार.... तमाम तरह के चुनावी वादों के बीच जनता ने चुने थे अपने पसंदीदा उम्मीदवार ताकि वेह कुछ नया कर सकें.....   लेकिन क्या हम कुछ नया देख्ज रहें है....  ?????   हाँ नए के नाम पर नए घोटाले,,  नए नए विवाद नया नया विरोध तो नयी नयी  सुलह...      कभी हम सुनते और देखते हैं की किस तरह मदु कोड़ा ने बटोरे हजारों करोड़  रुपये ..  तो हमने देखा राज ठाकरे के चुने गए विधयानको की गुंडागर्दी वोह भी  विधानसभा में...  तो अभी हाल ही में मुलायम आयर कल्याण सिंह की जानी दोस्ती कब टूट गयी कोई नहीं जान पाया...    हद हो चुकी है....  क्या अब भी हम लोगों को किसी नेता को वोट देना चाहिए,,,  किसी को भी चुनो  सब के सब एक जैसे ही निकलते हैं.....  जो आज हमारे साथ है..  वोह कल किसी और के साथ हो जायेगा...  जो आज आये हैं  वोट मांगने की हम जनता की सेवा करेंगे,, अल को लाल या नीली बत्ती लगा कर विशेष अधिकारों से लेस्स  होकर हमे ही दुत्कार के भगायेंगे....  इसलिए...  लोकतंत्र के हित में अब हम जनता को ही आगे आना होगा..   इसलिए...   मत करो अपना कीमती  वोट दान.....   मत करो मतदान...

Tuesday, December 1, 2009

THE END

THE END....     यह कहानी है एक अंत की....  जिसको कोई भी लाख कोशिश करके भी ताल नहीं सकता...  कहानी शुरू होती है... मुंबई में हुए २६\११ के बाद के हालात की,,  जहाँ पर अब सब कुछ सामान्य हो चूका है.. लोग सब कुछ भूल कर जीवन को फिर उसी तरह से जी रहे हैं... लेकिन हर किसी के मन में यह दर कहीं न कहीं है की न जाने कब क्या हो जाए....  ऐसे ही एक दिन अतुल जो की पुलिस में है...    मिलता है एक अनजान सी लड़की से जो अपने मन में पाले है अजीब सा गुस्सा इस समाज के प्रति, इस सत्ता के प्रति और इस पुलिस और क़ानून के खिलाफ क्योंकि उसके मुताबिक़ उसने पिछले दिनों जो कुछ भी खोया है इन सब के कारन खोया है  और वो इस सब का अंत करके रहेगी.......    इस बात को अतुल और हर कोई एक पल का गुस्सा समझ कर भुला देते हैं.....  लेकिन एक अंत की शुरुआत हो चुकी थी  क्या था वोह अंत  या अब क्या hone wala

Tuesday, October 6, 2009

it happens only in india......

वैसे तो हमारे देश में सब कुछ गड़बड़ झाला  होता रहता है किसी को कुछ लेना देना तक नहीं रहता यहाँ तक की अपनी सरकार को भी नहीं. वैसे देखा जाए तो  सरकार को और सरकार के मंत्रियों को तो ५ साल तक चुनाव की थकान मिटाने से फुर्सत नहीं मिलती और इस थकन का थोडा सा मजा सरकारी अधिकारी भी ले लेते हैं तभी तो देश में भ्रष्टाचार हर तरफ बढ़ता जाता है.

अब देश में बाढ़ आई हुई है हर तरफ से आवाज उठेगी  की इतने  हजार करोड़ रुपये की जरूरत है , जितनी भी जरूरत होगी सरकार देगी आखिर मांग जो हुई है...   वहीँ अगर कोई बेरोजगार व्यक्ति अपने नौकरी या किसी और काम से मदद मांगेगा तो उसे ५०० या १००० रुपये पकडा कर नमस्ते कर लिया जाता है.

कोई नेता अपनी प्रतिमा या मूर्ती बनवाने में अरबों रुपये लगा देता है, फिर भले ही वहां की जनता भूक से मर रही हो पर उस नेता को क्या. कोई बात नहीं और तो और अदालत हो या कोई और किसी की किसी को परवाह कहाँ है....    इसी लिए तो  अपना देश महान है भीडू !!!!

Monday, August 24, 2009

यह मुद्रा स्फिति और महंगाई का क्या चक्कर है भाई ??

इस बात पर तो एक कॉमेडी फ़िल्म बनाई जा सकती है ! एक तरफ़ तो सरकारी आंकडों के मुताबिक मंहगाई की डर नीचे की तरफ़ जाती जा रही है, पर हर चीज की कीमत ऊपर की तरफ़ जाती जा रही है! शक्कर, दाल , चावल या फिर सोना, चांदी या कोई भी चीज हो दाम के मामले में इनका मिजाज ऊंचा हेऔर शायद रहेगा भी ऊंचा, शायद महंगाई आजकल यही गीत गा रही है की " झंडा ऊंचा रहे हमारा" ।

खैर सरकार और उसके सरकारी आंकडे हमेशा से ही समय और हकीकत से पीछे चलते रहे हैं और शायद चलते रहेंगे , पर बेचारा आम आदमी अपने नसीब पर रोता रहेगा और यही गाना गाता रहेगा की " बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई" .

Thursday, July 23, 2009

जब मेने देखा ......... भूत"

आज के हाई फाई जमाने में शायद ही कोई यकीन करता होगा की दुनिया में भूत, प्रेत या आत्माओं का कोई वजूद है? सिवाए महेश भट्ट या राम गोपाल वर्मा के ... लेकिन यह कोई मजाक नही है । में ख़ुद एक ऐसा बन्दाहूँ जो इन सब बातों को बकवास की हद मानता था, यह भूत , प्रेत की बातें सिर्फ़ डराने के लिए ठीक लगती थी जब तक की मेने ख़ुद उस पल का सामना नही किया था !
पिछले दिनों मुझे मेरे गाँव में जाने का मौका मिला ... एक वीरान से जगह हर तरफ़ से यमुना नदी से घिरा हुआ मेरा गाँव किसी डरावनी फ़िल्म के सेट से कम नही है, हर तरफ़ से एक अजीब सी आहट , अजीब सा सन्नाटा ... जैसे की किसी अनहोनी के होने का इशारा , गाँव वालों से कुछ इसी तरह की बातें सुनने को मिलती रहती थे की आज उस पर कोई हवा आई है, तो कल उस पर कोई भूत का साया था तो कल किसी की कुश्ती भूत से हो गयी... इन बातों से मन में एक डर समां गया था... लेकिन एक दिन मेरे पड़ोस के घर में से अजीब सी आवाज आने लगी , सामने देखा तो पड़ोस वाले घर में आई नयी बहु की आँखें बदली हुई है, चेहरा एकदम डरावना सा है, बाल बिखरे हैं, आवाज में बदला लेने की ललकार है, ऐसा मंजर जो मेने आज तक नही देखा था... खैर गाँव में तो इस तरह के किस्से आम बात है और इन किस्सों का निदान भी कोई बड़ी बात नही है..... पर जो मंजर इन आंखों ने देखा वोह शब्दों में बता पाना इतना आसन भी नही है.

Wednesday, July 1, 2009

APNO INDORE...... LAJAWAB INDORE




WoW what rememberance of Indore...:-) 


Thursday, May 21, 2009

मजबूत नेता निर्णायक सरकार.... यानि की कांग्रेस और मनमोहन singh

चुनाव के पहले भाजपा ने मनमोहन सिंह को हर तरह से एक कमजोर प्रधानमंत्री साबित करने के सारे पर्यटन किए थे, पर चुनाव के दौरान हे उनका यह हथियार उन पर ही चल गया और आडवानी जी कांग्रेस के साथ साथ पूरे देश के सामने अपने आप को एक मजबूत नेता साबित करने के लिए जी तोड़ म्हणत कर रहे थे , पार्टी भी कोई कसार नही छोड़ रही थी आडवानी जी के बचाव में । लेकिन चुनाव के बाद भाजपा का प्रचार का मुख्या नारा पूरी तरह से कांगरी और मनमोहन सिंह के ऊपर फिट बैठ गया है। ( क्या अब भी किसी भाजपाई को कोई शक है ?)

वाकई में चुनाव के बाद जो नतीजे आए हैं उनसे साफ़ हो गया है की कांग्रेस के शाशन की योजनायें और कांग्रेस के लिए राहुल और सोनिया का चमात्कारिक य्वाक्तित्व जादू कर गया , वहीँ आडवानी जी और उनकी मजबूत नेत्रत्व और निर्णायक क्षमता को जनता ने पूरी तरह से फ़ैल कर दिया जैसे की आईपीएल में भूकानन का गणित फ़ैल हो गया और अब तो आडवानी जी शायाद संसद में नेता प्रतिपक्ष के रूप में दिखाई न दे।

खैर जो भी हो अब तो कांग्रेस की बल्ले बल्ले है बिन मांगे हर छोटी बड़ी पार्टी कांग्रेस नित सरकार के संग खड़ी होना चाह रही है, सोनिया को अपना कट्टर दुश्मन मानने वाली माया भी और माया के कट्टर मुलायम भी , यही तो है लोकतंत्र का जादू जो इस बार खूब तेजी से चल गया।

"काश मेरा भी जादू चल जाए और मेरी झोली में भी कोई नौकरी गिर पड़े तो मुझ पर से बेरोजगार का ठप्पा तो हटे , कब हटेगा पता नही पर कभी तो हट ही जाएगा ..........हम भी ऐसे वैसे नही हैं जेब में नही है दाम........ पर घूम घूम के ढूंढ रहा हूँ काम ..... कभी तो मिल जायेगा... तो मेरा भी जादू चल जायेगा"।

दीपक सिंह

09425944583

Wednesday, May 20, 2009

लालू और पासवान की गलती या अति आत्मविश्वास !

आख़िर कार लालू जी और पासवान जी को यह बात स्वीकार करनी पड़ी की बिहार मैं कांग्रेस को दरकिनार करना दोनों की ही नेताओं और उनके दलों को महेंगा पड़ गया है, यहाँ तक की पासवान जी का तो संसद से पत्ता ही साफ़ हो गया है। बहुत पुरानी कहावत है की ज्यादा बड़ी बात और ज्यादा ऊंचा दावा कभी मुह से बहार नही निकालना चैयेह पर लालू जी और पासवान जी को क्या पता था की उनका बनाया चौथा मोर्चा दोनों नेताओं की राजनितिक हैसियत का तीसरा मनवा देगा जैसे की आईपीएल में कोलकाता की टीम और शाहरुख़ खान की जिद का दीवाला निकल गया , मतलब लालूजी , पासवान और शाहरुख़ इन सब के लिए गए निर्णय इनको न सिर्फ़ ग़लत साबित कर गए बल्कि इन्हे हँसी का पात्र भी बना गए।
यह सारा मामला यह साबित कर देता है की धीरे हे सही राष्ट्रीय दलों का खोया हुआ वजूद वापस लोट रहा है और क्षेत्रीय दलों को अपनी आत्म मुग्धता से अपने आप को बच्चा कर रखना होगा , फिर वो सपा हो, बसपा हो या लालू की और तमाम क्षेत्रीय दलों के पमुख हे क्यों न हो सबको एक बार सोचना तो पड़ेगा की क्या इनके दल वाकई इस काबिल है की इनके बिना कोई भी राष्ट्रीय दल अपना प्रभुतत्व नही जमा सकते ? यह सवाल क्या इन नेताओं को कुछ सोचने के लिए मजबूर करेगा ??? हो सकता है शायद कर भे दे पर उम्मीद तो कम है.

Friday, May 8, 2009

सत्ता के लोभी शैख़ चिल्ली , कुर्सी के पाने दौडे नई दिल्ही !

शैख़ चिल्ली के किस्से , कहानिया तो हम लोग बचपन से सुनते आ रहे हैं लेकिन आजकल के नेता किसी शैख़ चिल्ली से कम नजर नही आ रहे हैं। वैसे सरे नेता सालों से हम जैसे नागरिकों को ऐसे ही वादों और बैटन से मूर्ख बनाते आ रहे हैं और हम सब उनकी झल्लेदार बातों में आ जाते हैं। पर अब तो शैख़ चिल्ली के सपने काफ़ी ज्यादा ऊंचे हो गए हैं जैसे की कुछ शैख़ चिल्ली नेताओं का जिक्र करके साबित करते हैं की वोह शैख़ चिल्ली हैं या वाकई सच्चे राजनितिक व्यक्ति हैं।
सबसे पहले बात करते हैं करात साहब की , सारा देश जानता है की वाम दलों का देश में २ राज्यों को छोड़ कर क्या स्थान है , फिर भी सारे वाम दल सता पाना चाहते हैं और तो और इसी में से कुछ नेता प्रधानमंत्री तक बनाना चाह्ते हैं, अब इनका क्या होगा राम ही जाने।
मायावती के ख्वाब भी शैख़ चिल्ली से कम नही हैं , तभी तो वोह हर एक जगह अपने आप को देश का अगला प्रधान मंत्री घोषित कर रही हैं, उत्तर प्रदेश में उनकी सरकार है पर पूरे देश पर उनका राज सिवाय उनके कोई और नही सोच रहा है ।

अब बात हो जाए पवार साहब, मुलायम जी, लालू जी , देवगौड़ा जी जैसे नेताओं की जो सोच रहे हैं की इनके बिना कुछ हो नही सकता , और तो और शायद येही नेता कल को प्रधानमंती भी बन जायें, काश ऐसा हो जाए ? वैसे कम शैख़ चिल्ली तो कोई भी नही है , देखना है की किसके सपनो में कितना दम है। १६ तारीख ज्यादा दूर नही है सब पता चल जाएगा ........ तब तक इन्तेजार कर लेते हैं.

दीपक सिंह
09425944583

Monday, May 4, 2009

२० साल गठबंधन सरकारों के राज के , अब् किसकी बारी ?

२० साल पहले जब जन्मोर्चे के नेता वीपी सिंह के नेत्रत्व में सरकार बनी थी तब किसी ने शायद सोचा नही होगा की यह सरकार गठबंधन सरकार के नए युग की पहली कड़ी साबित होगी। विगत २० साल में देश में बहुत कुछ बदल गया है , २० साल में देश ने भारी प्रगति की है न सिर्फ़ आर्थिक, सामरिक और वैज्ञानिक रूप से बल्कि राजनीतिक रूप से तो बहुत ही ज्यादा प्रगति की है।

पहले जहाँ देश में सिर्फ़ कांग्रेस और भाजपा का ही वर्चस्व रहता था वहां अब् यह दोनों दल क्षेत्रीय दलों पर पूरी तरह निर्भर होकर रह गए हैं।
सपा , बसपा और जनता दल के सरे भाई बंधू चाहे वोह एस हो या उऊ ho । देश में जहाँ गिनती के नेता हुआ थे नेताओं की पूरी फौज खड़ी है । pradhanmantri की gaddi के lie जितने suyogya नेता अब् हैं उतने तो shaayad कभी भी नही थे।

विगत २० साल निश्चित रूप से आजादी के बाद के सबसे महत्त्वपूर्ण वर्ष मने जायेंगे , देखना है की अगला गठबंधन कोण सा बनेगा जो गठबंधन की राजनीती को एक और नया आयाम देगा.

Saturday, May 2, 2009

गिरता हुआ मतदान प्रतिशत ! जिम्मेदार कौन ??

इस बार के लोकसभा चुनाव में गिरते हुए मत प्रतिशत को लेकर काफी बहस हो रही हैकुछ लोग कहते हैं की गर्मी की वजह से ऐसा हो रहा हैतो कुछ लोग मतदाताओं के ऊपर सवाल उठा रहे हैं की मतदाता जागरूक नही हैं, तो कुछ लोग कुछ अन्य कारण बता रहे हैंपर किसी ने भी यह सोचा की कहीं हमारे नेता और उनके दलों का इसमे कोई योगदान हो सकता है ! जी हाँ मैं तो यही सोचता हूँ की कम मतदान की मुख्या वजह हमारे नेता और राजनितिक दल हैं, भारत मुख्या रूप से एक भावनात्मक देश है और यहाँ की जनता भी भावूक है, भोली हैइसी बात का फायदा हमारे नेता उठाते रहे हैं जाती, धरम , प्रान्त के आधार पर हर दल और नेता वोट माँगता है और शायद माँगता रहेगा

लेकिन आजकल का वोटर भावुक कम जागरूक ज्यादा हो गया है उसे नेताओं के झूठे वाडे, दावे ज्यादा दिन तक मूर्ख नही बना सकते , कुछ नेता जैसे की गोविंदा , धर्मेन्द्र जब अपने चुनाव क्षेत्र से जीते तो दुबारा वहां शायद ही कभी गए होंमुलायम सिंह हो या मायावती या लालू या पासवान जैसे नेता जो मंत्री पड़ के लिए ही चुनाव लड़ते हैं वोह भी जाती , और समाज के आधार पर और फिर पासवान साहब तो पिछले बार से मंत्री रहे हैं ! राजग और सप्रंग दोनों के संग

जनता अब जान गई है की नेता और अवसरवादी में क्या फर्क है फिर वो ममता बेनर्जी हो या उमा भारती या कल्याण सिंह ही क्यों हो, जो की मौके की नजाकत के आधार पर इधर या उधर हो जाते हैंहमारे देश में विको जैसे नेता भी हैं जो प्रभाकरन जैसे आतंकी का साथ देने के लिए तमिलनाडु में खून की नदी बहा देने को तैयार हैं , वही प्रभाकरन जो राजीव गाँधी की ह्त्या का मुख्या आरोपी मन जा रहा है.

खैर जो भी हो यह तो मेरी अपनी राइ है हो सकता है कुछ लोग मेरे विचार से सहमत हों पर यह सब एक सच है और हमे यह मानना ही होगा की जब तक हमारे नेता अपने वादों और दावों में फर्क करते रहेंगे , अवसरवादिता और सौदेबाजी को बढावा देंगे तब तक मत प्रतिशत में बढोतरी होनी मुश्किल है क्योंकि आज का मतदाता खासकर शेहरी मतदाता को कोई दल या नेता ज्यनाही बना sakt

Wednesday, April 29, 2009

Kal ho Na Ho...


आज एक बार सबसे मुस्करा के बात करो
बिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुराना
और दिमाग को पुराने पल याद हो ना हो

आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओ
आज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बाते
और ये यादें हो ना हो

आज एक बार मन्दिर हो आओ
पुजा कर के प्रसाद भी चढाओ
क्या पता कल के कलयुग मे
भगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो

बारीश मे आज खुब भीगो
झुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरह
कल ये बारीश भी हो ना हो

आज हर काम खूब दिल लगा कर करो
उसे तय समय से पहले पुरा करो
क्या पता आज की तरह
कल बाजुओं मे ताकत हो ना हो

आज एक बार चैन की नीन्द सो जाओ
आज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जिन्दगी मे चैन
और आखों मे कोई सपना हो ना हो

क्या पता
कल हो ना हो ....



--
Regards...
Deepak singh
09425944583

Saturday, April 25, 2009

में देख रहा हूँ , भाजपा को सत्ता में वापस आते हुए .

हो सकता है की मेर ऐ इस ब्लॉग को पढ़ कर कुछ लोग मेरी हँसी उडाएं या चोंक जायें । पर इसमे कोई शक मुझे तो नही है की इस बार भाजपा की सत्ता में वापसी तै है। कोई nahi jaanataa की कल क्या होने वाला है ? वैसे तो कई सारे मुद्दे हैं जिनको भाजपा भुना सकती है पर कुछ बातें मुझे कम लग रही हैं भाजपा की तरफ़ से, निम्न लिखित बातों का भी समावेश अपने प्रचार में करके भाजपा अपनी जीत को पक्का बना सकती है जिनकी काट किसी भी दल के पास नही होगी।

१) डेल्ही में हुई बत्तला हाउस मुठभेड़ के ऊपर कांग्रेस के हे सहयोगी दलों ने सवाल उठाये थे, जिसका जवाब जनता जानना छाहती है की कांग्रेस ने उन नेताओं के ऊपर क्या करवाई की जबकि यह सब कुछ कांग्रेस के ही गृह मंत्रालय द्वारा किया गया था।

२) मुंबई हमले के बाद शहीद हुए पुलिस कर्मिओं के ऊपर कांग्रेस के ही मंत्री के द्वारा ऊँगली उठाई गई , जिसका कोई संतोष प्रद जवाब कांग्रेस नही दे सकी और वेह मंत्री अब भी चुनाव मैदान में हैं।

३) आडवानी के कंधार कांड में किए गए निर्णयों को कांग्रेस पार्टी काफी ज्यादा उछाल रही है, जबकि चिदंबरम जी ख़ुद कह चुके हैं की इस तरह के हालात में कोई भी निर्णय करना मुश्किल होता है जब की १३० लोगों की जान मुश्किल में हो तो तमाम तरह से मुश्किल होती है जबकि ,साल पहले जब जम्मू कश्मीर के एक कांग्रेस समर्थक नेता की पुत्री के लिए आतंकवादी से सौदेबाजी हुई थी, उसे तो कोई याद नही करता जबकि एक लड़की के लिए आतंकवादी छोड गए थे , कंधार में तो १३० निर्दोष लोगों की जान का सवाल था।

४) बाबरी मस्जिद कांड के ऊपर लालू यादव जो की कांग्रेस समर्थित सरकार का हिस्सा हैं , उनका कथन कांग्रेस पार्टी के इस कांड में शामिल होने का सबूत है तो इस काण्ड की जिम्मेदारी भाजपा पर ही क्यों डाली गयी ?

५) भारत देश सदा से एक हिंदू देश रहा है, फिर भी हमारे यहाँ सरे धर्मो का आदर होता है, भाजपा भे किसी धर्म के ख़िलाफ़ नही है, पर कांग्रेस और उसकी सहयोगी दल जैसे की, सपा, राजद, लोजपा आदि पार्टी सिर्फ़ मुसलमानों के लिए ही क्यों आवाज उठाते हैं क्या उन्हें सिक्ख, इसाई, जैन, बोद्ध आदि धर्म संप्रदाय के लोग दिखाई नही देते हैं।

६) कांग्रेस पार्टी के एक मंत्री हैं श्रीमान कपिल सिब्बल जी जो की नरेन्द्र मोदी को मानसिक रोगी कहते हैं, क्या एक मंत्री को एक विकसित राज्य के मुख्या मंत्री के ऊपर ऐसा कटाक्ष शोभा देता है, शायद वेह इस बात से बौखला गए हैं की उनकी सरकार होते हुए भी टाटा नानो गुजरात में क्यों चली ।


७) कांग्रेस पार्टी के गृह मंत्री थे श्रीमान पाटिल , जिन्होंने डेल्ही, जयपुर, बंगलोर में हुए धमाकों के बाद सिर्फ़ मीडिया में निंदा के बयां दी थे। उनके गैर जिम्मेदाराना बयानों के लिए उनको अपना त्याग पत्र देना पड़ा, वहीँ कांग्रेस के ही एक मुख्यमंत्री को मुंबई हमलों के बाद इस्तीफा देना पड़ा अपने गैर जिम्मेदाराना यवहार के लिए।

८) कांग्रेस की ही देन है तीसरा मोर्चा, और चोथा मोर्चा सत्ता के लालची दलों और नेताओं को बढावा दिया है कांग्रेस पार्टी ने , जिसकी वजह से सपा, राजद और वाम दल आज अपनी मर्जी चलाना चाहते हैं वोह भी प्रधानमंत्री bannane के लिए और सत्ता पाने के लिए.वैसे भी laloo to ख़ुद ही manmohan जी के ऊपर सवाल uthaa चुके हैं.

यह तो सिर्फ़ कुछ बातें हैं जो भाजपा शायद भूल रही है, हो सकता की इन बातों से भी बड़ी बातें पार्टी के एजेंडे में है, पर क्या karoon में तो एक लेखक, गायक , रेडियो जोक्केय और एक मनोरंजक हूँ यानि की कलाकार हूँ , पर कुछ दिनों से बेकार हूँ यानि बेरोजगार हूँ, सोचा की कुछ लिखूं , क्या पता यही हो मेरी नियति, की मुझे भी भा जाए राजनीति, वैसे भी तो में हूँ लाचार, सोचा की क्यों करून भाजपा का प्रचार।

दीपक सिंह
09425944583

Monday, April 20, 2009

कानून देता है अपराधी को बढावा और आम आदमी को छालावा !!

"इस ब्लॉग को कोई व्यक्ति या संस्था व्यक्तिगत रूप से न ले । यह मेरे निजी विचार हैं।"

पिछले कई दिनों से हमे यह बातें सुनने को मिल रही हैं की चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को tickit देना उचित है या नही, पर कोई यह नही कहता की क्या कानून इसकी इजाजत देता है या नही।
नेता चाहे किसी भी पार्टी का हो , कोई भी दल हो कहीं न कहीं हर पार्टी में कोई न कोई ऐसा व्यक्ति मिल जाएगा जिस पर कहीं न कहीं आपराधिक केस दर्ज है, ऐसे में कानून पर काफी सवाल उठ जाते हैं अपने आप। जरा सोचिये एक आम आदमी यदि किसी सरकारी या निजी फर्म में नौकरी के लिए आवेदन करता है तो सबसे पहले यही जांचा जाता है की कहीं उस आदमी का कोई केस या आपराधिक पकरण तो नही था या उसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि तो नही है। लेकिन जो लोग संसद में या विधानसभा में चुने जाते हैं क्या उनके लिए ऐसी कोई व्यवस्था होती है ? नही !
एक आम आदमी यदि किसी केस को अदालत में लड़ता है तो उसके जूते अदालत के चक्कर लग लगा कर घिस जाते हैं, वहीँ पैसा और पहुँच के बल पर कोई भी व्यक्ति पकड़े जाने के पहले ही जमानत लेकर आराम से अपने मर्जी से क़ानून की कमिओं का फायदा उठा लेते हैं। हमारे देश के निति निंताओं को इस बारे में जरूर सोचना होगा , तभी आम आदमी और ऊंची पहुँच वाले व्यक्तिओं के बीच होने वाला कानूनी भेदभाव मिट पायेगा।

कृपया अपने विचार जरूर भेजें।

दीपक सिंह
09425944583

Saturday, April 18, 2009

Kasak....



  ना हमने बेरुखी देखी न हमने दुश्मनी देखी,
तेरे हर एक सितम मे हमने कितनी सादगी देखी,

कभी हर चीज़ मे दुनिया मुकम्मल देखते थे हम,
कभी दुनिया कि हर एक चीज़ मे तेरी कमी देखी,

न दिन मे रोशनी देखी , न शब मे चान्दनी देखी,
टेरी उल्फ़त मे हुम्ने इस कदर भी ज़िन्दगी देखी,

वो क्या एह्द-ए-वफ़ा देगे? वो क्या गम की दवा देगे?
ज़िन्होने देख कर भी इश्क़ मे जन्नत नही देखी??

यहा हुम दिल जलाकर के किया करते है शब रोशन,
वहा एक तुम हो जिसने देखी भी तो आग़ ही देखी,

'कसक' हर बार सोचा है गिला करना न भूलेगे,
मगर हर बार भुले है वो आखे जब भी नम देखी..

 
 

--
Regards...
Deepak singh
09425944583

Sunday, April 12, 2009

u.p में लोकतंत्र नही ... नही शोषण तंत्र .... कोई मददगार नही !

2/04/2009
tasweer उत्तर प्रदेश पुलिस की..... एक पत्र मेरे नाम , कोई तो मदद करो ।

मेरा नाम रामसिंह भदोरिया, पुत्र श्री जनक सिंह भदोरिया , निवासी ग्राम चान्गोली तहसील बह जिला आगरा का हूँ। विगत कुछ दिनों से मुझे और मेरे परिवार को पुलिस और कुछ असामाजिक तत्वों के द्वारा लगातार प्रताडित किया जा रहा है। विगत दिनों दिनांक १२/०३/२००९ को होली के दूसरे दिन मेरे घर पर कुछ पुलिस वाले आए और मेरे ध्योते उपेन्द्र ( banty) को बुलाने लगे, जब मेने पुछा ki क्या बात है तो कुछ नही बोला , बस यही कहा की उससे कुछ पूछना है। मेरा ध्योता जयपुर में काम करता है साथ हे फौज में नौकरी के लिए प्रयास भी कर रहा है। जब उपेन्द्र को बुलाया तो पोल्स वाले उसको लेकर जाने लगे , मेने पुछा की आप तो पूछने आए थे अब लेकर क्यों जा रहे हो, तो वेह लोग बोले की इस gaon में क्षेत्रीय विधयक द्वारा लगवाया गया शिलालेख तोडा गया है, जिसमे मेरे ध्योते उपेन्द्र का नाम है, यह बोल कर उसको थाने में बैठा लिया , जब हम लोग उसको छुडाने पहुंचे to police अधिकारी बोले की विधयक का शिलालेख दोबारा लगवा दो तो हम आपके ध्योते को छोड़ देंगे , तब तक नही छोडेंगे।

महोदय , बात यही नही थी, जब हमने पुछा की पुलिस को और vidhaayak को यह बात किसने बताई, कोई प्राथमिकी हो तो बताई जाए पर उन्होंने कुछ नही कहा बस यही कहा की आप लोग वह शिलालेख लगवा दो। ७२ घंटे के बाद १५/०३/२००९ को आखिरकार मेरे ध्योते के ऊपर दफा १५१ लगा दी गयी तब हम उसकी जमानत करा सके। मेरा यह कहना है की कुछ असामाजिक tatva यदि यही करते करते रहेंगे और पुलिस उन्हें पकड़ने के बजाये उन्हें सरंक्षण प्रदान करती रहेगी तब तक मेरे जैसे किसान का इस समाज में रहना मुश्किल नही बल्कि असंभव हो जाएगा, जो मजदूरी करके apanaa परिवार paalte हैं।
मेरा आपसे निवेदन है की यथा सम्भव करवाई और निष्पक्ष जांच करके असली गुनेहगार को सामने लाया जाए और मेरे ध्योते के ऊपर जो दफा १५१ लगा दी गई है उसको हटाया ताकि उसके भविष्य पर कोई prashna chinha न लगे।

महोदय उचित करवाई करेंगे ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है।


Thursday, April 9, 2009

अक्षय कुमार, पत्रकार, नेता और जूता !!!!!

अमेरिकी राष्ट्रपति बुश के ऊपर जो जूता फेंका गया था उसकी दुनिया भर में चर्चा हो गई थी, यहाँ तक की जूता फेंकने वाले पत्रकार को सब कुछ मिला तारीफ भी, सजा भी और तमाम तरह की शोहरत और दोलत भी। ऐसा ही कुछ नजारा भारत में भी देखने को मिला जब चिदंबरम जी के ऊपर जर्नल सिंह नमक पत्रकार ने अपना जूता फ़ेंक कर अपना विरोध जाता दिया जगदीश तैत्लोर को लेकर, वहीँ अक्षय कुमार ने भी नया विवाद पैदा कर डाला । इस घटना ने भारत में एक सनसनी फेला डाली है, अब सरे नेता अपने अपने प्रेस कांफ्रेंस में सुरक्षा पर ज्यादा धयन देंगे , खासतोर पर पत्रकारों से और उनके जूतों से हो सकता है की अब प्रेस कांफ्रेंस में सरे पत्रकारों को जूते उतार कर आना पड़ जाए।

लोकतंत्र में हर इंसान को अपना विरोध जताने का हक है और अभिव्यक्ति का bhi। तरीका चाहे जैसा हो सब चलता है और वोह भी भारत जैसे देश में तो सब कुछ जायज है, गनीमत है की जर्नल सिंघजी सजा से बच गए और अक्षय कुमार माफ़ी मांग कर बच गए , वरना उनका पैंट और जर्नल का जूता उन्हें जेल भेजने के लिए काफी था, पर क्या यहाँ के अभिनेता और
राजनितिक नेता और दलों को यह घटना आत्मचिंतन का एक मौका नही देती ?

क्यों हमारे नेता ऐसा काम करते हैं जिसके लिए उन्हें विरोध सहना पड़े और फिर सरे आम माफ़ी मांगना पड़े, खैर हमारे यहाँ तो ऐसा होना आम बात है नेता हो या अभिनेता सब यही करते हैं, पहले तो जो मन में आए कर देते हैं, बोल देते हैं फिर माफ़ी मांग लेते हैं। यही हमारे देश का नया ट्रेंड हो गया है । वोह चाहे अक्षय कुमार हो, जगदीश तित्लेर हो देश वासिओं से माफ़ी मांगने में उन्हें कोई शर्म तब तक नही आती जब तक उनका विरोध न किया जाए, जब किया जाता है तो मजबूरी में यही रास्ता बचता है। वैसे जगदीश तित्लेर्जी के ऊपर कोई आरोप साबित नही हुआ है पर फिर भी जनभावना का समान तो करना ही चैये था कांग्रेस को और अक्षय कुमार को जो सरेआम अपने जेंस का बटन खुलवा बेठे थे और फिर माफ़ी मांग बेठे ।

दीपक सिंह
09425944583

Tuesday, April 7, 2009

लालू का बडबोलापन और वरुण.

लालू यादव ने वरुण गाँधी को लेकर जितनी सुर्खिआं बटोरी हैं उतनी शायद उन्होंने रेल मंत्री होते हुए भी नही बटोरी होगी। वेह अगर गृहमंत्री होते तो वरुण पर रोलर फिरवा देते फिर चाहे जो होता , देखा जाता। उनके जैसे वरिष्ट नेता के मुह से इतनी तुछी बातें सुनकर बड़ा अजीब सा लगा पर यही राजनीतित है। कब क्या करवा दे कोई पता नही पड़ता।
उन्होंने मुलायम और पासवान के संग अपना नया मोर्चा बन लिया , नै उमंग और नए उत्साह में वेह वह सब कह गए जो शायद उन्होंने सोच नही था, शायद चुनाव आयोग को यह सब दिखाई या सुनायी नही दे रहा है, जब वरुण का भाषण साम्प्रदायिकता से भरा हुआ था तो लालू का भाषण कोई रस से भर तो नही है, इसमे भी उन्होंने अल्पसंख्यक वर्ग को साधते हुए वरुण पर निशाना लगा दिया , साथ ही उनकी पत्नी रबरी देवी ने भी वह सब कह डाला जो उन्हें परेशां करने के लिए काफी था। अन चुनाव आयोग को पुरी तरह से जांच करके कदम उठाना होगा नही तो उस पर भेदभाव के आरोप लगना तय है। देखन होगा लालू के लिए चुनाव आयोग और राज्य सरकार क्या कदम उठाती है।


दीपक
09425944583

कुछ सोच लिया जाए !!!! पर क्या ???

घर पर युही बेकार और बेरोजगार बेठे बेठे मेने सोचा की चलो कुछ सोच लिया जाए! अपने खली दिमाग को थोड़ा सा काम दिया जाए, कुछ सोच लिया जाए.
सोचा की क्यों न जनहित और देश कल्याण के लिए सोचा जाए , बड़े बड़े विद्वान और महापुरुषों की जमात में शामिल हुआ जाए, कुछ सोच लिया जाए। तो सोचा यह की देश के विकास में जो रोड़ा हैं जैसे गन्दी राजनीती, स्वार्थ, लालच, आतंकवाद, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार इनको दूर कैसे किया जाए, थोड़ासोचा था की सोच पर भी राजनीती हावी हो जाए ! ऐसे में भला कैसे सोचा जाए। क्योंकि यदि इनको दूर कर दिया तो देश की ब्रांड इमेज का क्या होगा यही सोच कर इस सोच को त्याग दिया जाए , कुछ और सोच लिया जाए।

अब सोचा क्यों न थोड़ा सा मनोरंजक आईडिया सोच जाए क्यों न टी.वि पर कुछ नया लाया जाए, रियलिटी शो, म्यूजिक शो के बाद कुछ और लाया जाए, क्यों न झलक के मंच पर अपने बालिए के संग डांस पर चांस मार लिया जाए, पर यह सोचा था ही की इसमे में सास बहु का झगडा रोड़ा अटकाए , ऐसे में क्या और कुछ सोचा जाए।
सोचा की क्यों न कुछ और किया जाए, आराम छोड़ कर कुछ काम किया जाए , पर मुझ बेरोजगार को कुछ काम तो न मिला यही सोच कर काम पाने के नुस्खे वाली पुस्तक ही पढ़ ली जाए, पुस्तक ने भी मेरा दिमाग चकराया , यहीं पर मेरा मन भी घबराया , वैसे भी सोच कर किसका क्या हुआ है,जिसने सोचा वही पछताया है, मेरी सोच भला मुझे क्या देगी, इसने किसिस को क्या दिया है जो मुझे भे देगी, यही सोच कर मेने सोचा की सोच को आराम दिया जाए और कर लिया जाए कोई जॉब क्योंकि अब तो गली का कुत्ता भी दिखता है मुझे" रॉब".

Saturday, April 4, 2009

लालकृष्ण आडवानी और मनमोहन singh की बहस कितनी सही और ग़लत.


कुछ दिन पहले आडवानी जी ने कम बोलने वाले और मृदुभाषी मनमोहन सिंह को अब तक का सबसे कमजोर प्रधानमंत्री बताया, और उन्हें सीधी खुली बहस के लिए न्योता दियामनमोहन सिंह से आडवानी जे बहस करके क्या साबित करना चाहते हैं, शायद वेह बहस के द्वारा मनमोहन को चुप करके अपनी दावेदारी को मजबूत बनाना चाहते हैं , हो सकता है वेह सही हों क्योंको हर कोई जनता है की मनमोहन सिंह इतने अच्छे वक्ता नही हैं, पर वेह इतने कमजोर भी नही हैं की कोई जवाब नही दे सकते


बहस का तरीका पश्चिमी देशो में ज्यादा प्रचलित है, जरूरी नही की हम हर चीज में पक्शिम की नक़ल करें और आडवानी जी को बहस करनी है तो तमाम प्रधानमंत्री पड़ के दावेदारों से करनी होगी, क्योंकि हर दल का अपना एक एक दावेदार मोजूद हैक्या वेह इसके लिए तैयार हैं???


मनमोहन जी ने सही किया जो बहस का न्योता स्वीकार नही किया ,क्योंकि सत्ता में आने के बाद पिछले साल से वेह सब आपस में बहस हे तो करते थे उस बहस को भे सरे लोगों ने देखा था इस लिए इस नै बहस का कोई मतलब ही नही बनताजाहिर है की जब जनता टीवी के मध्यम से लोकसभा में होने वाली बहस को ही नही झेल पति तो इस नई चुनावी बहस को कोण झेलना चाहेगाआपको क्या लगता है!!!!

Thursday, April 2, 2009

सबके ननों में समां गई टाटा की nano

एक समय था जब आदमी की सबसे पहले जरूरत के रूप में नाम लिया जाता था रोटी, कपड़ा और मकान। लेकिन समय के साथ जरूरत में भी बदलाव आ गया है , कुछ साल पहले इन जरूरतओ के साथ मोबाइल भी शामिल हो गया था जब धीरुभाई अम्बानी की आम आदमी तक मोबाइल पहुचने की योजना रेलिएंस इंडिया मोबाइल के साथ आई थी।
लेकिन तब भी कुछ कमी थी जो अब रतन टाटा ने पुरी की है साथ हजी अपना वडा भी , वडा आम आदमी की पहुँच में ४ पहिया गाड़ी लेन का। रतन टाटा भारत के सबसे आमिर व्यक्तिओं की लिस्ट में शामिल नही किए जाते, न ही वे सबसे प्रभावशाली लोगों में गिने जाते हैं कुछ तथाकथित पत्रिकाओं के द्वारा बने जाने वाली लिस्ट में। फिर भी जहाँ भरोसे और इमानदारी बात आती है तो टाटा का अपना अलग स्थान है।
अब रोटी , कपda, मकान और मोबाइल के साथ कार भी प्रथम जरूरत में शामिल हो जायेगी। (रो,का,म, मो,का) यही अब नया नाम बन जाएगा प्रथम वरीय आवश्यकताओं का , टाटा नानो ने न सिर्फ़ भारत का नाम ऊँचा किया , वरन देश के हर उस आदमी को एक उम्मीद दी है जो कल तक कार को एक सपने के रूप में देखते थे। टाटा का भी अन्य दूसरे udhyogpatioyn की तरह profit kamana lakshya है पर इसके अलावा भी टाटा नानो ने unhe woh स्थान दिला dia है जिसके lie unhe wakai salaam किया जन chaiye।
tamama pareshanio , arthik mandi और तरह तरह के virodh के बाद भी उन्होंने अपना वडा निभा ही dia ..... टाटा सही arthon में भारत के रतन हैं.

Friday, March 27, 2009

चुनाव घोषणा पत्र और वरुण गाँधी !

कांग्रेस पार्टी ने अपना चुनावी घोषणा पत्र आख़िर जरी कर दिया इसमे आश्रय की कोई बात नही यह तो हर चुनाव में होता है , सरे दल यही करते हैं! जब चुनाव आयोग के द्वारा तथाकथित आचार संहिता लहू की जाती है तो राजनितिक दलों को कुछ कामो पर लगाम लगनी पड़ती है जैसे की नई विकास योजना , सम्प्रदैक भडकाव आदि के लिए रोक लगा दी जाती है ! मगर कांग्रेस के घोषणा पत्र में यह सब है, सिर्फ़ कांग्रेस क्या हर दल यही करेगा जैसे मनमोहन जी ३श्र किलो चावल देंगे तो अडवानी जी १००००/रुपये में लेपटोप देंगे तो वाम दल कुछ और देंगे। क्या चुनाव आयोग को इसमे कुछ दिखाई नही दे रहा या वो सिर्फ़ कागजी आचार संहिता में लगा हुआ है।वहीँ वरुण गाँधी ने जो कुछ कहा उस पर हर तरफ़ हल्ला मचा हुआ है! मगर कुछ पार्टी जैसे सपा, बसपा या कुछ अन्य दल सांप्रदायिक आधार पर ही जीवित है उन पर कुछ लगाम लगना तो दूर आज यह दल राष्ट्रीय दलों को भी अपनी ताकत दिखने में लगे है। जहाँ मुलायम और लालू ने कांग्रेस को गहरा सदमा पहुँचा दिया है वहीँ भाजपा को चुनाव आयोग ने अपने शिकंजे में लपेट लिया है वोह भी वरुण गाँधी के कारन , हालाँकि भाजपा में तो नेता इसी तरह के भाषणओ के कारन सत्ता में आते रहे हैं।कुछ भी हो लेकिन सारे दल एक दुसरे को नीचा दिखने में कोई कसर नही छोडेंगे ,लेकिन सरे दल और नेता अन्दर से एक समान हैं , चुनाव के इस हमाम में सारे नेता नंगे हैं वोह किस पैर ऊँगली उठाएंगे, सारी शर्म उतर कर फिर से वोट मांगने आएंगेOर चुनाव आयोग हर बार की तरह अपनी खानापूर्ति में लगा रहेगा .

Deepak singh...
09425944583

Tuesday, March 24, 2009

फोर्मुले चुनाव जीतने के!!!!!!!

आज कल हर तरफ़ एक ही शब्द सुनाई दे रहा है वोह है फार्मूला !!!!!
जैसे की तीसरे मोर्चे का फार्मूला , मायावती का फार्मूला , लालू का फार्मूला सप्रंग का फार्मूला ...........

लेकिन सरे नेता या राजनितिक दल उस फोर्मुले को भूल रहे है जो लोकतंत्र में सबसे ज्यादा जरूरी है , वोह होता है टी.डी.स का फार्मूला जिसका मतलब भे शायद नेता नही जानते !!!!!!!!! सीधा सा मतलब होता है जिसका ..... तर्रक्की , विकास , सुरक्षा ... पैर हमारे नेता तो सिर्फ़ जाती या धरम के नाम के फोर्मुले ही समझेंगे॥ क्यों कैसी rahi...

Tuesday, March 17, 2009

I m a multitelented person butstill,…”berojgaar”……

17/03/2009
Many people saying that this is the time of global slowdown tht’s y many people are facing troubles in there life with there jobs, my scene is very diffrent.. u know y.. i m trying work asa radio jockey / writer / copy writer /comedian ….. bt i m still strugelling to get something to my way in these three years i got lot of lesson’s whihc will not only help me but also help me to proove my abilities.
At the same time i have lot of new story ideas, concepts but no one will listen them may be this is the ” saadesaati” time for me .. but i m waiting kya pata mera numbre lag जाए ?????……..
Please read my blogs on deepaksingh-deepuraaj.blogspot.com also….
Deepak singh
09425944583

गांधीजी भारत आए विजय माल्या के saath

गांधीजी की सारी चींज विजय माल्या वापस ले आए , किंतु वोह एक शराब व्यापारी हैं इस बात का कुछ ज्यादा ही महत्व हो गया है

मेरे मन में एक सवाल आ रहा है के क्या एक शराब व्यापारी के ऊपर इतना सारा दबाव डालना ग़लत है , शायद हम यह भूल रहे हैं की हम कुछ भी ग़लत चीज अगर लेते या देते हैं वोह चीज उसी रुपये या पैसे की आतेई है जिस नोट पर गांधीजी का फोटो होता है। क्या तब कोई बहस हओती है? नही न , हम रिश्वत देते हैं , बन्दूक खरीदते हैं, नशा कर्त्येऐ हैं यह saara saamaan उसी नोट का आता है जिस पर गांधीजी का फोटो होता है। to फिर बहस किस बात की भाई भारत की vastu भारत मैं aa gai यही बहुत है ... क्या समझे bheedu

Deepak singh

09425944583

Monday, March 9, 2009

लोकतंत्र का त्यौहार DEEPAK की नजर से...

गाँधी हो,आडवानी हो , लालू हो या हो शरद पवार , सब लड़ने को हैं तैयार , क्योंकि आनेवाला है लोकतंत्र का त्यौहार...

५ साल के बाद फिर से होगी खींचातान,फिर से होगी यलगार क्योंकि आनेवाला है लोकतंत्र का त्यौहार॥

होंगे मुद्दे इनके उनके , कुछ बड़े बड़े तो कुश इक्के दुक्के , कुछ देंगे भाषण बड़े बड़े तो कुछ के चलेंगे तुक्के।

जो कल तक एक दुसरे को थे देते गाली, आज गले में बाहें DAAL कर संग संग बजाएँ ताली, यही तो चुनाव चक्कर है कोण छोड यह अवसर शानदार, क्योंकि आनेवाला है लोकतंत्र का त्यौहार।

ACTOR हो , CRICKETER हो या हो कोई BARRISTOR सबका JEE LALCHAATA है बन JANE को MINISTER, PAIR पकड़ कर हाथ JOD कर MANGEGE WOH VOTE,MUH में RAAM बगल में CHHUREE मन में JINKE KHOT, न मिलेंगे तो BARSAENGE WOH NOTE BANEGE और BANAENGE WOH ख़ुद को ही MAALDAAR,, क्योंकि आने WALA है लोकतंत्र का त्यौहार।

कोई जीते कोई हारे PHARK किसको पड़ता है प्यारे॥ RAJNITI KHEL है ऐसा कर दे SABKE WAARE NYAARE॥ JANTA से है SABKO आस, जीते तो फिर कोण AAEGA इसके पास, CHUNAV का तो है यही चमत्कार क्योंकि आने WALA है लोकतंत्र का त्यौहार।



Deepak
09425944583