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Thursday, December 31, 2009

वनवास.. सजा परवरिश की....

वनवास ... उसका   बचपन तो बीता था हर किसी की तरह से, लेकिन जैसे जऐसे वो बड़ा हुआ उसे लगने लगा की उसके साथ कुछ ऐसा होने वाला है जो शायाद हर  किसी के साथ नहीं होता है. और जब उसकी हादी हो गयी तो भी वो नहीं जान सका की किस्मत का खेल क्या होगा...  उसके साथ किस्मत और खुद भगवान् ने सोच रखा था   " वनवास" ..   जी हाँ वनवास लेकिन क्यों और कैसे मिला था उसे वनवास , क्या था कारन , क्या ठी उसकी गलती या यह था उसका नसीब , उसके वनवास में भी उसका प्यार उसका सहारा बना ..यह कोई कालानिक कहानी नहीं बल्कि ये है ...  मेरी अपनी आप बीती यानि मेरी  कहानी   जिसके साथ यह सब हुआ वो कोई और नहीं मैं यानी दीपक हूँ और में आज भी झेल रहा हूँ मेरा " वनवास"   

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