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Wednesday, February 17, 2010

कन्या धाम ..... संघर्ष सपनो का विरासत से.......

यह कहानी है किसना की....  किसना  जैसा नाम वैसा ही  रूप , रंग , और स्वभाव ...   बचपन से उसने देखा था अपने माँ और बाबा को एक लड़के के लिए तरसते हुए . पर उसके माँ बाबा के नसीब में लड़के का सुख नहीं लिखा था. इसलिए किसना हमेशा से अपने माँ बाबा का लड़का बनना चाहती थी. पर एक लड़की कभी लड़का नहीं बन सकती ???   क्या बन सकती है , उसे तो ससुराल में अपनी जिन्दगी बितानी है , पति के सहारे जीवन बिताना  है . मगर किसना क्या करे एक तरफ तो उसके माँ बाबा की विरासत जिस पर पूरे गाँव वाले खासकर उस कल्याण सिंह की नजर लगी हुई है, वो तो येही दुआ मांग रहा है की कब किसना की शादी हो जाये और उसके माँ बाबा को बुढापे में गाँव से निकाल कर उनकी सारी विरासत और जमीन सब कुछ हड़प ले....   क्या करेगी किसना संजोएगी सपनो को या संभालेगी माँ बाप की विरासत  लेकिन एक लड़की होकर वो क्या कर पायेगी वो भी तब जब हर कोई उसके सामने तमाम मुश्किलें लिए खड़े हैं...   क्या करे किसना  चुने पिता की विरासत या साकार करे अपने सपनो को....

Monday, February 8, 2010

क्या यही कांग्रेस का हाथ है भईय्या ...?????

क्या यही  ये  कांग्रेस का हाथ है भईय्या ...   समझे क्या..... 

भाई जरा सा याद तो करो किस तरह से ये नारा लोकसभा चुनाव के पहले हर टीवी चैनल , हर गली और हर रेडियो पर सुनाई देता था , जिस वजह से कांग्रेस को पूरा बहुमत हासिल हुआ को वो फिर से सत्ता में आ गई.  लेकिन ये क्या भाई अभी तो पूरा साल भी नहीं हुआ और इस हाथ ने तो हर एक आम इंसान की कमर ही तोड़ कर रख दी और तो और यह दर्द कम तो हिगा नहीं बल्कि बढ़ने के सरे इन्तेजाम होने वाले हैं , भाई हो भी क्यों न अभी टी पूरे ४ साल बाकी हैं, किसानो का जितना कर्ज माफ़ किया था सारा का सारा ब्याज सहित वसूलना है, महंगाई को तो अभी और ऊंचाई तक पहुंचाना  है, हर गैर कांग्रेसी राज्य में सारा दोष उस राज्य की सरकारों पर मढना है, गौर जरूरी बयान देना बाकि है , किसी समस्या का हल निकलना तो दूर बल्कि उसके लिए किसी न किसी को कसूरवार ठहराना बाकि  है, लेकिन कांग्रेस शाषित राज्यों में जो भी गलत हो सब कुछ जायज कहना बाकि है जैसे के महाराष्ट्र में उत्तर भारतियों की पिटाई या उनके लिए मराठी या गैर मराठी वाली लड़ाई .

कांग्रेस सरकार का तो येही तरीका है भाई जो हम करें वो सही बाकि सब गलत, भाई जिस प्रधान मंत्री के मंत्रिमंडल में ही मंत्रियों में आपसी सामंजस्य नहीं होगा तो उस देश का क्या होगा कोई भी समझ सकता है, जैसे की शशि थिरूर का मुद्दा हो या तीरथ जी के विज्ञापन का मुद्दा या कोई और मुद्दा , यही नहीं जब तक महाराष्ट्र में शिवसेना ने सोनिया और राहुल के लिए बयान नहीं दी तब तक तो कांग्रेस को पता ही नहीं था की मुंबई में कुछ गलत हो भी रहा है,

सच है भाई ये कांग्रेस का ही हाथ हो सकता है जिसका एक हाथ क्या करता है दुसरे को ही पता नहीं चलता तो भला देश हित में क्या हुआ , या देश के अहित में क्या हुआ भला वो कैसे पता चलेगा ,,,,     तो फिर भैय्ये हो तैयार ऐसे ही और ४ साल तक सिसकने के लिए और हाँ शक्कर मत इस्तेमाल करो..............
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क्रमश:.........

Friday, February 5, 2010

इन्तेहाँ हो गयी .... अब तो बस करो !!!!!!!!111

इन्तेहाँ हो गयी ....  अब तो बस करो . जी हाँ यह तो इन्तेहाँ की भी इन्तेहाँ हो चुकी है, जिस तरह से अमर वाणी और नेता जी का  कथित शब्द युद्ध अपने चरम पर है , जिस तरह से राज , बाल और उद्धव ठाकरे मराठी राग अपने चरम पर है , पर राज्य और केंद्र में आसीन कांग्रेस पार्टी मौन है  इस तरह के हालातों में कोई भला क्या सोच सकता है एक तरफ मराठी राग अलापा जा रहा है और मुंबई से उत्तर भारतीओं को निशाना बनाया जा रहा है, वहीँ उत्तर प्रदेश में खुद एक तरह से अराजकता का माहोल है. इन सब बातों के बीच भला उस आम इंसान का क्या जो इन तमाम नेताओं और राजनितिक दलों के निशाने पर है ....  जरा उसका भी तो कुछ सोचो ...     कांग्रेस पार्टी अब तो नींद से जगे ऐसा मेरा मानना है ...............  बाकी रब जाने