"इस ब्लॉग को कोई व्यक्ति या संस्था व्यक्तिगत रूप से न ले । यह मेरे निजी विचार हैं।"
पिछले कई दिनों से हमे यह बातें सुनने को मिल रही हैं की चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को tickit देना उचित है या नही, पर कोई यह नही कहता की क्या कानून इसकी इजाजत देता है या नही।
नेता चाहे किसी भी पार्टी का हो , कोई भी दल हो कहीं न कहीं हर पार्टी में कोई न कोई ऐसा व्यक्ति मिल जाएगा जिस पर कहीं न कहीं आपराधिक केस दर्ज है, ऐसे में कानून पर काफी सवाल उठ जाते हैं अपने आप। जरा सोचिये एक आम आदमी यदि किसी सरकारी या निजी फर्म में नौकरी के लिए आवेदन करता है तो सबसे पहले यही जांचा जाता है की कहीं उस आदमी का कोई केस या आपराधिक पकरण तो नही था या उसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि तो नही है। लेकिन जो लोग संसद में या विधानसभा में चुने जाते हैं क्या उनके लिए ऐसी कोई व्यवस्था होती है ? नही !
एक आम आदमी यदि किसी केस को अदालत में लड़ता है तो उसके जूते अदालत के चक्कर लग लगा कर घिस जाते हैं, वहीँ पैसा और पहुँच के बल पर कोई भी व्यक्ति पकड़े जाने के पहले ही जमानत लेकर आराम से अपने मर्जी से क़ानून की कमिओं का फायदा उठा लेते हैं। हमारे देश के निति निंताओं को इस बारे में जरूर सोचना होगा , तभी आम आदमी और ऊंची पहुँच वाले व्यक्तिओं के बीच होने वाला कानूनी भेदभाव मिट पायेगा।
कृपया अपने विचार जरूर भेजें।
दीपक सिंह
09425944583
1 comment:
लचर कानून व्यवस्था का लाभ सिर्फ ताकवर ही उठा रहे हैं । ज्यादातर यही देखने मे आता है। गरीब आदमी किसी योग्य वकील का बंदोबस्त भी नही कर पाता।
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