इस बात पर तो एक कॉमेडी फ़िल्म बनाई जा सकती है ! एक तरफ़ तो सरकारी आंकडों के मुताबिक मंहगाई की डर नीचे की तरफ़ जाती जा रही है, पर हर चीज की कीमत ऊपर की तरफ़ जाती जा रही है! शक्कर, दाल , चावल या फिर सोना, चांदी या कोई भी चीज हो दाम के मामले में इनका मिजाज ऊंचा हेऔर शायद रहेगा भी ऊंचा, शायद महंगाई आजकल यही गीत गा रही है की " झंडा ऊंचा रहे हमारा" ।
खैर सरकार और उसके सरकारी आंकडे हमेशा से ही समय और हकीकत से पीछे चलते रहे हैं और शायद चलते रहेंगे , पर बेचारा आम आदमी अपने नसीब पर रोता रहेगा और यही गाना गाता रहेगा की " बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई" .