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Saturday, April 4, 2009

लालकृष्ण आडवानी और मनमोहन singh की बहस कितनी सही और ग़लत.


कुछ दिन पहले आडवानी जी ने कम बोलने वाले और मृदुभाषी मनमोहन सिंह को अब तक का सबसे कमजोर प्रधानमंत्री बताया, और उन्हें सीधी खुली बहस के लिए न्योता दियामनमोहन सिंह से आडवानी जे बहस करके क्या साबित करना चाहते हैं, शायद वेह बहस के द्वारा मनमोहन को चुप करके अपनी दावेदारी को मजबूत बनाना चाहते हैं , हो सकता है वेह सही हों क्योंको हर कोई जनता है की मनमोहन सिंह इतने अच्छे वक्ता नही हैं, पर वेह इतने कमजोर भी नही हैं की कोई जवाब नही दे सकते


बहस का तरीका पश्चिमी देशो में ज्यादा प्रचलित है, जरूरी नही की हम हर चीज में पक्शिम की नक़ल करें और आडवानी जी को बहस करनी है तो तमाम प्रधानमंत्री पड़ के दावेदारों से करनी होगी, क्योंकि हर दल का अपना एक एक दावेदार मोजूद हैक्या वेह इसके लिए तैयार हैं???


मनमोहन जी ने सही किया जो बहस का न्योता स्वीकार नही किया ,क्योंकि सत्ता में आने के बाद पिछले साल से वेह सब आपस में बहस हे तो करते थे उस बहस को भे सरे लोगों ने देखा था इस लिए इस नै बहस का कोई मतलब ही नही बनताजाहिर है की जब जनता टीवी के मध्यम से लोकसभा में होने वाली बहस को ही नही झेल पति तो इस नई चुनावी बहस को कोण झेलना चाहेगाआपको क्या लगता है!!!!

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