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Sunday, January 24, 2010

यह कैसा गणतंत्र ?????

 यह कैसा गणतंत्र ?????    जी हाँ एक आम आदमी के दिल और दिमाग में इस सवाल का आना लाजमी है, जहाँ आज हर कोई २६ जनवरी को गणतंत्र दिवस के लिए तमाम तरह से बातें और तैयारी कर रहा है ख़ास तोर पर सरकारी विभागों में ,  लेकिन क्या कोई यह सोच रहा है की २६ जनवरी एक आम इंसान के लिए कितनी महत्वपूरण है .   शक्कर , अनाज ओर तमाम बुनियादी चीजें कीमत के मामले में आम इंसान की पहुँच से दूर हो रही हैं, अपराध और भ्रष्टाचार रोकने के तमाम दावों के बावजूद बढ़ रहा है,   धर्म के नाम पर , जाती के नाम पर लोग लड़ रहे हैं , राजनेता ऍम इंसान को एक खिलोने से ज्यादा  कुछ  नहीं  मान   रहे हैं, ! इन हालातों में गणतंत्र दिवस की क्या कोई महत्ता रह गयी है ? यह सवाल जितना लाजमी है उतना ही कठिन इस सवाल का जवाब है,
गणतंत्र दिवस मनाया जाता है गन यानि के आम इंसान के अधिकारों और उसके हक़ की महत्ता दर्शाने के लिए लेकिन इसमें उसी आम इंसान के लिए अब कुछ खास नहीं बचा .
यह सवाल शायाद बिना उत्तर के ही रह जायेगा तब तक अगला गणतंत्र दिवस और न जाने कितने गणतंत्र दिवस आते जाते रहेंगे और ऍम इंसान ऐसा ही रहेगा जैसा वो आज से कई साल पहले था बेसहारा, गरीब और शोषित कहता हुआ """"  यह कैसा गणतंत्र """""

Sunday, January 3, 2010

रुचिका episode......

आजकल रुचिका प्रकरण की कुछ ज्यादा ही गूँज सुनायी पद रही है. मीडिया का भी कुछ ज्यादा साथ इस मामले में देखने को मिल रहा है, जो की सही भी है पर इस बात पर तो कोई नासमझ भी हैरानी जाता सकता है की श्रीमान राठोड को जो कृपा प्राप्त हुई है जिस वजह से उन्होंने कानून को अपने घर के किसी नौकर से ज्यादा नहीं समझा.  ...   अदालत , सरकार या सरे के सारे अधिकारी सब के सब राठोड के सामने किसी नौकर से ज्यादा नहीं थे जिस वजह से उसने वोही किया जो वो करना चाहता था, लेकिन अब जिस तरह से सरकार नींद से उठी है तो कुछ उम्मीद रुचिका के परिवार को जरूर हुई होगी, पर  ये तो एक शुरुआत ही है क्योंकि हमारे देश में ऐसे न जाने कितने राठोड आज भी न जाने कितने लोगों का जीवन नरक बना रहे हैं....और अदालत और सरकारें अपने अपने कान और आँखें बंद किए बैठे हैं की जब कोई नया मामला मीडिया के द्वारा आएगा तभी हम अपनी नींद तोड़ कर उठेंगे, शायद यही हमारे देश का भाग्य है और शायद आगे भी ऐसा ही रहेगा.

सूरजमुखी... कहानी अभी बाक है.....

जी  हाँ यह कहानी है सूरजमुखी की..   सूरजमुखी के साथ ३५ साल पहले जो कुछ हुआ था, वो आज कोई नहीं  जानता  है.  हर कोई उसे एक बीती हुई बात समझ कर भूल चुके हैं पर ३५ साल बाद फिर से कुछ ऐसा होने वाला है जो तमाम लोगों को ३५ साल पीछे लेकर जाने वाला है... सूरजमुखी जो एक लाचार और  बेबस औरत थी  किसी को क्या पता था की जो कुछ उसके साथ हुआ था वो उसके मन मैं एक ज्वाला  मुखी को जनम दे रहा है, 
लेकिन क्या हुआ था  उसके साथ वो अब ३५ साल बाद जो कोई नहीं जानता या फिर जान भूझ कर अनजान बन रहा है!!! ....       ३५ साल के इन्तेजार के बाद सूरजमुखी फिर से शुरू कर रही है अपनी अधूरी कहानी ...     उत्तर प्रदेश के आगरा में घटित हुई एक सच्ची कहानी ....  जो हिला देगी तमाम सुन्ने और देखने वालों को...........