लालू यादव ने वरुण गाँधी को लेकर जितनी सुर्खिआं बटोरी हैं उतनी शायद उन्होंने रेल मंत्री होते हुए भी नही बटोरी होगी। वेह अगर गृहमंत्री होते तो वरुण पर रोलर फिरवा देते फिर चाहे जो होता , देखा जाता। उनके जैसे वरिष्ट नेता के मुह से इतनी तुछी बातें सुनकर बड़ा अजीब सा लगा पर यही राजनीतित है। कब क्या करवा दे कोई पता नही पड़ता।
उन्होंने मुलायम और पासवान के संग अपना नया मोर्चा बन लिया , नै उमंग और नए उत्साह में वेह वह सब कह गए जो शायद उन्होंने सोच नही था, शायद चुनाव आयोग को यह सब दिखाई या सुनायी नही दे रहा है, जब वरुण का भाषण साम्प्रदायिकता से भरा हुआ था तो लालू का भाषण कोई रस से भर तो नही है, इसमे भी उन्होंने अल्पसंख्यक वर्ग को साधते हुए वरुण पर निशाना लगा दिया , साथ ही उनकी पत्नी रबरी देवी ने भी वह सब कह डाला जो उन्हें परेशां करने के लिए काफी था। अन चुनाव आयोग को पुरी तरह से जांच करके कदम उठाना होगा नही तो उस पर भेदभाव के आरोप लगना तय है। देखन होगा लालू के लिए चुनाव आयोग और राज्य सरकार क्या कदम उठाती है।
दीपक
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