चुनाव के पहले भाजपा ने मनमोहन सिंह को हर तरह से एक कमजोर प्रधानमंत्री साबित करने के सारे पर्यटन किए थे, पर चुनाव के दौरान हे उनका यह हथियार उन पर ही चल गया और आडवानी जी कांग्रेस के साथ साथ पूरे देश के सामने अपने आप को एक मजबूत नेता साबित करने के लिए जी तोड़ म्हणत कर रहे थे , पार्टी भी कोई कसार नही छोड़ रही थी आडवानी जी के बचाव में । लेकिन चुनाव के बाद भाजपा का प्रचार का मुख्या नारा पूरी तरह से कांगरी और मनमोहन सिंह के ऊपर फिट बैठ गया है। ( क्या अब भी किसी भाजपाई को कोई शक है ?)
वाकई में चुनाव के बाद जो नतीजे आए हैं उनसे साफ़ हो गया है की कांग्रेस के शाशन की योजनायें और कांग्रेस के लिए राहुल और सोनिया का चमात्कारिक य्वाक्तित्व जादू कर गया , वहीँ आडवानी जी और उनकी मजबूत नेत्रत्व और निर्णायक क्षमता को जनता ने पूरी तरह से फ़ैल कर दिया जैसे की आईपीएल में भूकानन का गणित फ़ैल हो गया और अब तो आडवानी जी शायाद संसद में नेता प्रतिपक्ष के रूप में दिखाई न दे।
खैर जो भी हो अब तो कांग्रेस की बल्ले बल्ले है बिन मांगे हर छोटी बड़ी पार्टी कांग्रेस नित सरकार के संग खड़ी होना चाह रही है, सोनिया को अपना कट्टर दुश्मन मानने वाली माया भी और माया के कट्टर मुलायम भी , यही तो है लोकतंत्र का जादू जो इस बार खूब तेजी से चल गया।
"काश मेरा भी जादू चल जाए और मेरी झोली में भी कोई नौकरी गिर पड़े तो मुझ पर से बेरोजगार का ठप्पा तो हटे , कब हटेगा पता नही पर कभी तो हट ही जाएगा ..........हम भी ऐसे वैसे नही हैं जेब में नही है दाम........ पर घूम घूम के ढूंढ रहा हूँ काम ..... कभी तो मिल जायेगा... तो मेरा भी जादू चल जायेगा"।
दीपक सिंह
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