हमारे देश में फ़िल्में तो कई सालों से बन रही हैं, लेकिन कितनी ऐसी फ़िल्में बनी है जिन्होंने न सिर्फ आम आदमी के मन को समझा, उसे छुआ बल्कि कामयाबी की एक नयी इबारत भी लिख डाली. शायद फिल्मों के अस्तित्व में आने के बाद से कुछ चुनिन्दा फ़िल्में ही ऐसी होंगी ...४० के दशक से लेकर अब तक हमारा सिनेमा काफी बड़ा और वैश्विक हो गया है...अब तो फिल्मे भी आम भारतीय आदमी के लिए नहीं बल्कि अप्रवासी भारतीय नागरिक के लिए बनायीं जाती है. तकरीबन हर फिल्म की शूटिंग विदेश मैं होती है... हर कोई फिल्मकार ज्यादा से ज्यादा विदेशी दर्शकों को लुभाना चाहता है.. असी दौर मैं यदि एक निर्देशक सिर्फ और सिर्फ अपने देश के हर उस आम आदमी को ध्यान में रख कर फिल्म बना रहा है और कामयाबी के नए इतिहास भी रच रहा है.. और वो इंसान है राजू हिरानी.. ऐसा नहीं की राजू जी ने कोई अजूबा कहानी लिखी हो जो की कभी सुनी या देखि न गई हो.. बल्कि उन्होंने तो सीधी सादी लेकिन मन को छु लेने वाली कहानी को बड़े ही सरल और सामान्य तरह से पेश किया जिसमे न तो कोई बड़े बड़े ताम झाम थे न ही किसी विदेशी लोकेशन पर शूटिंग और न ही गैर जरूरी सेट थे और न ही कोई जबर्दास्त्त डाला गया आइटम सोंग , जो की हर फिल्मकार की पहली जरूरत होते है इन सब के बगेर भी कामयाबी की एक ऐसी मंजिल को छुआ जिसे कई कई तथा कथित नामी और बड़े निर्देशक शायद ही छु सकें...
राजू ने मुन्ना भाई में जो थेमे पकड़ी थी उसी थीम को आमिर खान के साथ लेकर विस्तृत रूप दिया..आमिर और राजू का संयोग एक तरह से होना ही था. जब आमिर ने तारे जमीन पर बनायी और जिस तरह के सिनेमा राजू रचना जानते है.. ऐसे मैं इन दोनों महाराथिओं का मिलन तो होना ही था...एक तरफ आमिर का सजीव अभिनय और राजू का सरल अंदाज .. मेरे ख्याल से आज के उन तमाम निर्देशकों को राजू से कुछ सीखना चाहिए ...कीकहानी को जितना सरल और मनोरंजक रखा जायेगा आम आदमी को फिल्म देखने में उतना ही आनंद आएगा... क्योंकि राजू की फिल्मों में तकरीबन वही सब दिखाया गया है जो हर आदमी सोचता है, या करना चाहता है.. पर अपनी जिम्मेदारिओं के बोझ तले कर नहीं पता.. ऐसा नहीं की राजू ने अपने सिनेमा में जो दिखाया वो कुछ अजीब है,, या ऐसा हो नहीं सकता,, बल्कि राजू और आमिर ने अपने अपने अंदाज में वोही दिखाया है जो की हमारे समाज में होता आ रहा है.. मेरा तो यही कहना है की चाहे फिल्म हो या कोई कहानी या कोई विज्ञापन.. यदि आपका इरादा उस कहानी या विज्ञापन को सफल बनाने का है तो उसे जितना हो सके सरल और वास्तविक रखें ताकि हर कोई इंसान उस से खुद को कहीं न कहीं जुडा हुआ महसूस कर सके.. इसी जुड़ाव से तो सफलता जुडती है... क्या ख्याल है आपका...
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