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Thursday, June 24, 2010

""" कन्याधाम "" संघर्ष सपनो का विरासत से... एक लड़की और वो भी वारिस ???? हरगिज नहीं हो सकता !

एक लड़की और वारिस ???? कभी नहीं ...  जी हाँ यह एक सत्य है,,   आज जिस ज़माने मैं हम लोग जी रहे हैं वहां लड़किओं को बराबर का दर्जा दिया जा रहा है जैसे के नौकरियो मैं , फिल्मो मैं तो लडकिय राज कर रही है ,, और राजनीती मैं तो पूछिए ही मत वहां तो महिलाओं का वर्चस्व है,,,  मगर इसी समाज और इसी देश मैं रहती है किसना...  किसना जो आज   तक लड़ रही है अपने हक़ के लिए...और वो भी उस राज्य मैं जहाँ की मुखिया एक औरत है..  यह एक कडवी किन्तु सच्ची कहानी है..  किसना ने अपने माता और पिता की विरासर को बचाने  के लिए जाने क्या क्या नहीं किया, और इस समाज मैं मोजूद जालिमों ने उसकी इस विरासत को पाने के लिए न जाने क्या क्या छल कपट न किए...  जैसे की  किसना के परिवार पर हमला , किसना के परिवार वालों को झूठे केस मैं फ़साना , साम , दाम ,  दंड और भेद हर तरह से लालची लोगों ने कोशिश कर के देख ली है , पर  किसना जो सीधे सदी है और ज्यादा पढी लिखी न होने के बावजूद डटकर सामना कर रही है हर संकट का और  आज तक लड़ रही है अपने हक़ के लिए....    मगर यह संघर्ष सिर्फ आज का नहीं है..   यह कहानी शुरू हुई थी तब जब किसना सिर्फ १० साल की थी...  और तब उसके माँ और बाबा अपनी विरासत और वंश की खातिर एक लड़के के लिए तरस रहे थे मगर भगवन को उनकी एक भी प्रार्थना प्रसन्न नहीं कर सकी और इसी चिंता मैं किसना के माँ और बाबा घुलने लगे की कल को उनके बाद इस जमीन और इस विरासत का क्या होगा...  क्योंकि किसना तो कल को शादी कर के पराये घर जायेगी और अगर उसे वारिस बनाये भी तो क्या इस ज़माने का वोह सामना कर सकेगी जहाँ जुल्म और जुल्मिओं का ही राज है भला वहां एक लड़की कैसे खुद  को और अपनी विरासत की सहेज पायेगी.    ??????
क्रमश:

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